जल गई काठ की हांडी
वोटर नाय आयो बहकाने में
जल गई काठ की हांडी
रोड बनाकर जाल बिछायो
ख़ूब सड़क को शोर मचायो
योगी ने भी ज्ञान पिलायो
सबने पूरा जोर लगायो
साबुन गिर गी बीच नहाने में
जल गई काठ की हांडी
फिर कीकर पे आम न आए
वोट दिलाने राम न आए
क्यों जुमलों के दाम न आए
जिन्ना भी कछु काम न आए
जमकर वोट पड़ी धौलाने में
जल गई काठ की हांडी
गन्ना सूखा आशा टूटी
कब तक चाटें सूखी बूटी
भरे कुएँ में डोरी छूटी
याय लिए जे जनता रूठी
कछु नाय रखौ खलिश इतराने में
जल गई काठ की हांडी
© चिराग़ जैन
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