कर्नाटक के नाटक में और हंगामों में बीत गया
सोनम की शादी के कुछ फिल्मी गानों में बीत गया
जिन्ना से जो वक़्त बचा था, तूफानों में बीत गया
कभी रैली में खिल्ली उड़ा ली, या खेला गाली गाली
ज़माना हुआ दंग भाइयो
डाँट डपट कर लोकतंत्र में लोग नहीं पाले जाते
गुंडागर्दी से सिस्टम के दोष नहीं टाले जाते
यदुरप्पा जी यूँ सत्ता के दीप नहीं बाले जाते
हाथ-पाँव बंध जाते हैं तो वोट नहीं डाले जाते
ढूंढो अपने दिमाग़ की भी ताली, चलाओ न दुनाली
उल्टी पड़ेगी जंग भाइयो
एक रोज़ कोई अधिकारी टीवी पर बड़बड़ा दिया
राई को बिन बात अचानक पर्वत जितना बढ़ा दिया
चैनल वैनल एफबी शेफबी क्या से क्या गुड़मुड़ा दिया
सच बतलाओ इस अंधड़ में कौन सा मुद्दा उड़ा दिया
हाय आंधियो की सूचना भुना ली, हवाएं बेच डालीं
ये कैसे हैं लफंग भाइयो
कसमें खाने से योद्धा का धीर टूटने लगता है
लक्ष्य भटक जाता है और उद्देश्य छूटने लगता है
कांग्रेस की फेयरवेल के मनसूबे मत पालो जी
पेड़ जहाँ से काटोगे वो वहीं फूटने लगता है
ऐसी चोटी में गाँठ क्यों लगा ली, कसम कोई खा ली
राहुल को किया तंग भाइयो
तुम निश्चय कर लेते तो फिर आड़ लगाना मुश्किल था
दुश्मन की जय कहने वालों का बच पाना मुश्किल था
देश, राज्य, मंत्रालय, कुलपति सब पर राज तुम्हारा है
फिर भी क्योंकर जिन्ना की तस्वीर हटाना मुश्किल था
बिना बात क्यों ये बात भी बढ़ा ली, ये है जनाबे आली
तुष्टिकरण का रंग भाइयो
वे बोले कि कर्नाटक में बहुमत इनका टच होगा
राहुल गांधी का भाषण अब सीरियसली टू मच होगा
मौसम का अनुमान तलक झूठा साबित हो जाता है
ऐसे में संजय राउत का दावा कैसे सच होगा
देखो ये तो पुलाव हैं खयाली, बिना हथेली ताली
ये बातों की है जंग भाइयो
सारे यार तुम्हारे उनके घर जा बैठे राहुल जी
कई राज्य अपनी ज़िद में तुम निपटा बैठे राहुल जी
कांग्रेस की सारी इज़्ज़त लुटवा बैठे राहुल जी
सिद्धरमैया भी मोदी के गुण गा बैठे राहुल जी
अपने हाथों से लुटिया डुबा ली, बजाते रहो ताली
चाकू पे लगा ज़ंग भाइयो
पिछला भी सप्ताह महज कानों कानों में बीत गया
कर्नाटक के नाटक में और हंगामों में बीत गया
सोनम की शादी के कुछ फिल्मी गानों में बीत गया
जिन्ना से जो वक़्त बचा था, तूफानों में बीत गया
कभी रैली में खिल्ली उड़ा ली, या खेला गाली गाली
ज़माना हुआ दंग भाइयो
डाँट डपट कर लोकतंत्र में लोग नहीं पाले जाते
गुंडागर्दी से सिस्टम के दोष नहीं टाले जाते
यदुरप्पा जी यूँ सत्ता के दीप नहीं बाले जाते
हाथ-पाँव बंध जाते हैं तो वोट नहीं डाले जाते
ढूंढो अपने दिमाग़ की भी ताली, चलाओ न दुनाली
उल्टी पड़ेगी जंग भाइयो
एक रोज़ कोई अधिकारी टीवी पर बड़बड़ा दिया
राई को बिन बात अचानक पर्वत जितना बढ़ा दिया
चैनल वैनल एफबी शेफबी क्या से क्या गुड़मुड़ा दिया
सच बतलाओ इस अंधड़ में कौन सा मुद्दा उड़ा दिया
हाय आंधियो की सूचना भुना ली, हवाएं बेच डालीं
ये कैसे हैं लफंग भाइयो
कसमें खाने से योद्धा का धीर टूटने लगता है
लक्ष्य भटक जाता है और उद्देश्य छूटने लगता है
कांग्रेस की फेयरवेल के मनसूबे मत पालो जी
पेड़ जहाँ से काटोगे वो वहीं फूटने लगता है
ऐसी चोटी में गाँठ क्यों लगा ली, कसम कोई खा ली
राहुल को किया तंग भाइयो
तुम निश्चय कर लेते तो फिर आड़ लगाना मुश्किल था
दुश्मन की जय कहने वालों का बच पाना मुश्किल था
देश, राज्य, मंत्रालय, कुलपति सब पर राज तुम्हारा है
फिर भी क्योंकर जिन्ना की तस्वीर हटाना मुश्किल था
बिना बात क्यों ये बात भी बढ़ा ली, ये है जनाबे आली
तुष्टिकरण का रंग भाइयो
वे बोले कि कर्नाटक में बहुमत इनका टच होगा
राहुल गांधी का भाषण अब सीरियसली टू मच होगा
मौसम का अनुमान तलक झूठा साबित हो जाता है
ऐसे में संजय राउत का दावा कैसे सच होगा
देखो ये तो पुलाव हैं खयाली, बिना हथेली ताली
ये बातों की है जंग भाइयो
सारे यार तुम्हारे उनके घर जा बैठे राहुल जी
कई राज्य अपनी ज़िद में तुम निपटा बैठे राहुल जी
कांग्रेस की सारी इज़्ज़त लुटवा बैठे राहुल जी
सिद्धरमैया भी मोदी के गुण गा बैठे राहुल जी
अपने हाथों से लुटिया डुबा ली, बजाते रहो ताली
चाकू पे लगा ज़ंग भाइयो
कर्नाटक के नाटक में और हंगामों में बीत गया
सोनम की शादी के कुछ फिल्मी गानों में बीत गया
जिन्ना से जो वक़्त बचा था, तूफानों में बीत गया
कभी रैली में खिल्ली उड़ा ली, या खेला गाली गाली
ज़माना हुआ दंग भाइयो
डाँट डपट कर लोकतंत्र में लोग नहीं पाले जाते
गुंडागर्दी से सिस्टम के दोष नहीं टाले जाते
यदुरप्पा जी यूँ सत्ता के दीप नहीं बाले जाते
हाथ-पाँव बंध जाते हैं तो वोट नहीं डाले जाते
ढूंढो अपने दिमाग़ की भी ताली, चलाओ न दुनाली
उल्टी पड़ेगी जंग भाइयो
एक रोज़ कोई अधिकारी टीवी पर बड़बड़ा दिया
राई को बिन बात अचानक पर्वत जितना बढ़ा दिया
चैनल वैनल एफबी शेफबी क्या से क्या गुड़मुड़ा दिया
सच बतलाओ इस अंधड़ में कौन सा मुद्दा उड़ा दिया
हाय आंधियो की सूचना भुना ली, हवाएं बेच डालीं
ये कैसे हैं लफंग भाइयो
कसमें खाने से योद्धा का धीर टूटने लगता है
लक्ष्य भटक जाता है और उद्देश्य छूटने लगता है
कांग्रेस की फेयरवेल के मनसूबे मत पालो जी
पेड़ जहाँ से काटोगे वो वहीं फूटने लगता है
ऐसी चोटी में गाँठ क्यों लगा ली, कसम कोई खा ली
राहुल को किया तंग भाइयो
तुम निश्चय कर लेते तो फिर आड़ लगाना मुश्किल था
दुश्मन की जय कहने वालों का बच पाना मुश्किल था
देश, राज्य, मंत्रालय, कुलपति सब पर राज तुम्हारा है
फिर भी क्योंकर जिन्ना की तस्वीर हटाना मुश्किल था
बिना बात क्यों ये बात भी बढ़ा ली, ये है जनाबे आली
तुष्टिकरण का रंग भाइयो
वे बोले कि कर्नाटक में बहुमत इनका टच होगा
राहुल गांधी का भाषण अब सीरियसली टू मच होगा
मौसम का अनुमान तलक झूठा साबित हो जाता है
ऐसे में संजय राउत का दावा कैसे सच होगा
देखो ये तो पुलाव हैं खयाली, बिना हथेली ताली
ये बातों की है जंग भाइयो
सारे यार तुम्हारे उनके घर जा बैठे राहुल जी
कई राज्य अपनी ज़िद में तुम निपटा बैठे राहुल जी
कांग्रेस की सारी इज़्ज़त लुटवा बैठे राहुल जी
सिद्धरमैया भी मोदी के गुण गा बैठे राहुल जी
अपने हाथों से लुटिया डुबा ली, बजाते रहो ताली
चाकू पे लगा ज़ंग भाइयो
वही पुरानी काठ की हांडी नहीं चढ़ेगी साहब जी
जनता अपने अनुभव से ही निर्णय लेगी साहब जी
कर्नाटक की हार देखकर इतना तो सीखे होंगे
अब जुमलेबाज़ी से जनता नहीं फँसेगी साहब जी
अपनी ख़ुद की फेयरवेल करा ली, अपनी ही मुंह की खा ली
हारे हो बड़ी जंग भाइयो
घर से उठवाने के दावे को भी त्राटक नहीं मिला
उन्हें सड़क पर लाने वालों को ख़ुद फाटक नहीं मिला
हिन्दू-मुस्लिम, लिंगायत, जिन्ना, तूफान, दलित, अगड़े
इतना सारा नाटक करके भी कर्नाटक नहीं मिला
ईवीएम ने भी राखी खुलवा ली, नज़र फेर डाली
ठगे गए दबंग भाइयो
सच मानो पहले से अब मैच्योर हो गई है जनता
कांग्रेस-बीजेपी में इग्नोर हो गई है जनता
पहले जैसी नहीं रही है, और हो गई है जनता
जुमलों से और ड्रामे से अब बोर हो गई है जनता
जीडीएस ले ले सत्ता की ताली, तुम बैठे रहो ठाली
अब बदलो अपने ढंग भाइयो
जनता अपने अनुभव से ही निर्णय लेगी साहब जी
कर्नाटक की हार देखकर इतना तो सीखे होंगे
अब जुमलेबाज़ी से जनता नहीं फँसेगी साहब जी
अपनी ख़ुद की फेयरवेल करा ली, अपनी ही मुंह की खा ली
हारे हो बड़ी जंग भाइयो
घर से उठवाने के दावे को भी त्राटक नहीं मिला
उन्हें सड़क पर लाने वालों को ख़ुद फाटक नहीं मिला
हिन्दू-मुस्लिम, लिंगायत, जिन्ना, तूफान, दलित, अगड़े
इतना सारा नाटक करके भी कर्नाटक नहीं मिला
ईवीएम ने भी राखी खुलवा ली, नज़र फेर डाली
ठगे गए दबंग भाइयो
सच मानो पहले से अब मैच्योर हो गई है जनता
कांग्रेस-बीजेपी में इग्नोर हो गई है जनता
पहले जैसी नहीं रही है, और हो गई है जनता
जुमलों से और ड्रामे से अब बोर हो गई है जनता
जीडीएस ले ले सत्ता की ताली, तुम बैठे रहो ठाली
अब बदलो अपने ढंग भाइयो
No comments:
Post a Comment