Thursday, May 3, 2018

ज़माना हुआ तंग भाइयो

त्रिपुरा में इक विप्लव अपनी सारी मर्यादा भूला
मोदी जी ने शी के संग फिर चाइना में झूला झूला
लालक़िले पर डालमिया के कब्ज़े का हल्ला-गुल्ला
राहुल को चैलेंज किया है पीएम ने खुल्लमखुल्ला
येदुरप्पा ने बुकिंग भी करा ली, शपथ रट डाली
कर्नाटक की है जंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

बिन मतलब के लंबे-लंबे भाषण पेल रहे हो तुम
छोटे बच्चों से भी बोगस दावे ठेल रहे हो तुम
समझ न आता आख़िर कैसे ख़ुद को झेल रहे हो तुम
कभी-कभी ऐसा लगता है घर-घर खेल रहे हो तुम
कभी बोलने की बाज़ियां लगा लीं, या शायरी सुना ली
उड़ती रही पतंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

देश फूँक कर अपनी कोठी जगमग ही तो करनी है
सिर्फ़ क्रीज़ पर टिके हुए कुछ ठक-ठक ही तो करनी है
तुम आपस में शर्त लगाकर टाइम पास करो अपना
क़ाग़ज़ देखो या मत देखो, बकबक ही तो करनी है
ये तो जनता है बड़ी भोली-भाली, बजाती रही ताली
बनी रही उमंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

जो चुप्पी साधे थे वो भी होंठ खोलना सीख गए
बीजेपी वाले दलितों का मोल तोलना सीख गए
ख़ुद मोदी जी ने माना है, अच्छे दिन तो आए हैं
कांग्रेसी मोदीशासन में झूठ बोलना सीख गए
कभी जातियों पे रोटियाँ पका लीं, कहीं पे बकी गाली
यूँ चढ़ता रहा रंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

सब अपनी-अपनी कहते हैं, कौन बताओ होश में है
सिर्फ़ जीत जाने की इच्छा हर इक के उद्घोष में है
उसकी वैसी हरक़त जितना पैसा जिसके कोष में है
बीजेपी तो मस्ती में है, कांग्रेस आक्रोश में है
कहीं मावस में भी है दीवाली, कहीं पे जेब ख़ाली
ये वोट की है जंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

इस गर्मी में काॅमेडी का हीटर किसने आॅन किया
ये कहते हैं पाण्डव दल ने कौरव दल को फोन किया
चंद दिनों में टाॅप इन्होंने बकवासों का ज़ोन किया
दिल्ली ले जाकर भाई को जैसे-तैसे मौन किया
कभी पान की दुकान खुलवा ली, या गाय पलवा ली
ये कैसा नया रंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

मनोरंजन पर भारी इस विप्लव के छक्के-चैके हैं
इस भाई ने दही-बड़े भी देसी घी में छौंके हैं
जब ज़ुबान चलती है तो फिर कौन जो उसको रोके है
नहीं डायना अच्छी लगती, ऐश्वर्या जी ओके हैं
जो दबी थी वो जी की कह डाली, यूँ आरज़ू निकाली
जवानी की उमंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

रोटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क सब कुछ प्राइवेट हुए सर जी
हटी सब्सिडी गैस तेल के ऊँचे रेट हुए सर जी
लालक़िले के केअर टेकर मोटे सेठ हुए सर जी
हमें बताओ टैक्स के पैसे किनकी भेंट हुए सर जी
तुमने अपनी तो सेलरी बढ़ा ली, या रैलियाँ निकालीं
तमाशा करो बंद भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो

© चिराग़ जैन

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