Friday, May 18, 2018

महीना जून का

महीना जून का है तिश्नगी हद से गुजरती है
जमीं दो बून्द पानी के लिए भी आह भरती है
भले ही तल्ख हैं तेवर हवाओं के मगर फिर भी
कली खिलने पे आ जाए तो हर डाली सँवरती है

© चिराग़ जैन

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