कल बना लेगा उदाहरण जग हमारे निर्णयों को
पर अभी हम आपके उपहास का संत्रास झेलें
कल हमारे अनुकरण की सीख देना पीढ़ियों को
आज हम अपने किये पर धृष्टता का त्रास झेलें
जब कभी गौतम नकारेगा गँधाती रीतियों को
तब उसे उद्दण्ड कहकर विश्व कर देगा बहिष्कृत
जब वही कृशकाय होकर लकड़ियों जैसा बनेगा
तब उसे गृहिणी करेगी देवता कहकर पुरस्कृत
स्वर्णबिंबित हो पुजेंगे कल तथागत विश्व भर में
आज भीषण जंगलों में कष्टप्रद संन्यास झेलें
जब किसी वैधव्य को जीवित चिता स्वीकार ना हो
तब उसे कुलटा बताकर राजगृह दुत्कार देंगे
बावरी जब कृष्ण की दीवानगी में मग्न होगी
तब नियम उसको गरल का पात्र देकर मार देंगे
कल तुम्हारी अर्चना का गान बन जाएंगी मीरा
आज भगवत भक्ति में वे दण्ड का विषग्रास झेलें
जग यही करता रहा है, जग यही करता रहेगा
अब जिसे द्रोही कहा है, कल उसे ईश्वर कहेगा
जिस कथा को हीन कहकर आज कर दोगे उपेक्षित
कल उसी पोथी से जग की आस्था का रस बहेगा
कल समूचा जग यही चौपाइयाँ गाता फिरेगा
आज तुलसी ज्ञानियों के दम्भ का परिहास झेलें
© चिराग़ जैन
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