उन अभागे अनकहों का मन नहीं जाना किसी ने
दोष सारा जो लिए बैठे रहे अपने सिरों पर
उन चरित्रों का अकेलापन न पहचाना किसी ने
कैकयी की सोच में जो क्षोभ था, वो बाहर आया
लोभ रानी का जगा, तब राम ने वनवास पाया
कैकयी ने कर लिया वरदान को अभिशाप ख़ुद ही
मंथरा के भाग्य में अपयश रहा, वो भी पराया
राजपरिवारों की झूठी प्रीत का जिसमें दिखा सच
मंथरा तो थी वही दर्पण, नहीं जाना किसी ने
पुत्र का संबंध लेकर भीष्म ख़ुद गंधार आए
दम्भ में इक बालिका के स्वप्न सारे मार आए
जिस अंधेरे को तुम्हीं ने राज्य से वंचित किया था
उस अंधेरे पर किसी की राजकन्या वार आए
कौन से अन्याय की ज्वाला में शकुनि जल रहा था
हाल उसका पूछने कब लौटकर आना किसी ने
नाव का जीवन बचाने क्या सहेगी पाल पूछो
धार से घायल हुआ है चप्पुओं का भाल पूछो
आम के मीठे फलों पर मुग्ध रहते हो, रहो पर
हो सके तो आम्रवन की कोयलों का हाल पूछो
भूमिका अपनी निभाकर खो गए नेपथ्य में जो
उन अबोलों का भला गुणगान कब गाना किसी ने
© चिराग़ जैन
दोष सारा जो लिए बैठे रहे अपने सिरों पर
उन चरित्रों का अकेलापन न पहचाना किसी ने
कैकयी की सोच में जो क्षोभ था, वो बाहर आया
लोभ रानी का जगा, तब राम ने वनवास पाया
कैकयी ने कर लिया वरदान को अभिशाप ख़ुद ही
मंथरा के भाग्य में अपयश रहा, वो भी पराया
राजपरिवारों की झूठी प्रीत का जिसमें दिखा सच
मंथरा तो थी वही दर्पण, नहीं जाना किसी ने
पुत्र का संबंध लेकर भीष्म ख़ुद गंधार आए
दम्भ में इक बालिका के स्वप्न सारे मार आए
जिस अंधेरे को तुम्हीं ने राज्य से वंचित किया था
उस अंधेरे पर किसी की राजकन्या वार आए
कौन से अन्याय की ज्वाला में शकुनि जल रहा था
हाल उसका पूछने कब लौटकर आना किसी ने
नाव का जीवन बचाने क्या सहेगी पाल पूछो
धार से घायल हुआ है चप्पुओं का भाल पूछो
आम के मीठे फलों पर मुग्ध रहते हो, रहो पर
हो सके तो आम्रवन की कोयलों का हाल पूछो
भूमिका अपनी निभाकर खो गए नेपथ्य में जो
उन अबोलों का भला गुणगान कब गाना किसी ने
© चिराग़ जैन
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