Friday, June 19, 2020

सस्ता है तो महंगा पड़ेगा

कोई लागत से भी कम क़ीमत पर माल बेच रहा है, तो समझ लो कि वह व्यापार नहीं कर रहा, वरन बाज़ार पर कब्ज़ा कर रहा है। बाज़ार का एक ही धर्म है, मुनाफ़ा। जो आज इस धर्म से विमुख दिख रहा है, उसका कल कट्टर होना तय है। क़ीमत बहुत कम हो तो नीयत ख़राब होगी। सुनते हैं, दूध-दही पीनेवाले देश में चाय मुफ़्त बाँटी गई थी। लोगों ने मुफ़्त में चाय की चुस्की ली और चाय के व्यापारियों ने देश लूट लिया।
हमारे देश में एक मध्यमवर्गीय आदमी टैक्सी करने से डरता था। टैक्सीवालों की मनमानी और उनकी गुंडागर्दी से त्रस्त लोगों को जैसे ही आठ रुपये प्रति किलोमीटर का रेट दिखा तो लोग लपककर रेडियो टैक्सी में घूमने लगे। कूपन, ऑफर और न जाने कितना पैसा फेंककर इन कम्पनियों ने डेढ़ साल में हर मोबाइल में अपनी उपस्थिति बना ली। लोग पुरानी टैक्सियों और ऑटो रिक्शा को छोड़कर, धड़ल्ले से रेडियो टैक्सी की सुविधा के अभ्यस्त हो गए। फिर कोई कूपन नहीं, सर्ज लगने लगा, रेट बढ़ते-बढ़ते औसतन बीस-पच्चीस और कभी-कभी तीस-पैंतीस रुपये प्रति किलोमीटर तक जाने लगे।
खिलौनों की क़ीमतें अचानक से बाज़ार में औंधे मुँह गिरीं। शानदार पैकेजिंग के साथ चीनी सामान ने भारतीय व्यापार पर कब्ज़ा कर लिया। चीन का दृष्टिकोण व्यापक था। वह सस्ते खिलौने बेचकर भारत की अर्थव्यवस्था से खिलवाड़ कर रहा था। आज भारतीय बाज़ारों से चीन को खदेड़ना कितना महंगा पड़ रहा है, यह हम सबके सामने है।
हम कलाकारों के पास बहुत से लोग आते हैं कि हम आपका प्रमोशन मुफ्त में करना चाहते हैं। हम आपका डिजिटल मार्केटिंग का सारा काम करेंगे, आपको कोई पैसा नहीं ख़र्च करना पड़ेगा। सारा काम हम करेंगे, और आपको कुछ पैसा भी दे देंगे। इतनी विनम्रता हमें ख़ुश कर देती है और हम ख़ुशी-ख़ुशी जंगल के शेर से सर्कस के शेर बनने को तैयार हो जाते हैं।
जब कोई टेलीकॉम कंपनी मुफ्त में मोबाइल सेवा देती है, जब कोई पैथोलॉजी लैब नगण्य क़ीमत में हज़ारों रुपये के टेस्ट करने का दावा कर रही हो, जब कोई राजनैतिक दल मुफ़्त समान बाँटकर वोट मांग रहा हो तो हमें सतर्क हो जाना चाहिए। ये सब व्यापारी हमारी लालची प्रवृत्ति और स्थापित व्यापारियों की बेध्यानी या गुंडागर्दी का लाभ उठाकर बाज़ार में दस्तक देते हैं।
अगर कोई दोस्त आवश्यकता से अधिक अपनापन दिखाकर आपके घर पर पैसा लुटा रहा है तो उसकी दोस्ती को टटोल लेना आवश्यक है।
बाज़ार की यह नीति अब राजनीति में भी धड़ल्ले से चल रही है। हमारी सरकार आई तो आपको बिजली फ्री मिलेगी; हम आपको राशन फ्री देंगे; हम आपका कर्ज़ा मुआफ़ कर देंगे; हम आपसे बस में यात्रा के पैसे नहीं लेंगे... इन जुमलों से सत्ता हथियाने में सभी दल सक्रिय हैं।
आपको भूख लगने पर रोटी कमाने की शिक्षा देनेवाला व्यक्ति देखने में क्रूर लग सकता है लेकिन वह वास्तव में आपका गुरु होता है, जो आपको आत्मनिर्भर बनाना चाहता है। लेकिन भूख लगने पर आपकी झोली में रोटी डाल देनेवाला व्यक्ति चुपके से आपको भिखारी बना रहा होता है।

© चिराग़ जैन

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