रेलवे अपना घाटा पूरा करने के लिए निकट भविष्य में कोई नई भरती नहीं करेगा। सरकार अपना घाटा पूरा करने के लिए पैट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ा रही है।
एयरलाइंस अपना घाटा पूरा करने के लिए स्टाफ कम करेंगी। क्रेडिट कार्ड, टेलीकॉम और अन्य सेवाओं पर पैसे लेने का द्वार खुला है। सेवा में कोई गड़बड़ होने पर शिक़ायत करने की लाइनें कोरोना के कारण बन्द हैं।
सप्लाई कम होने के कारण हर चीज़ के दाम बढ़ गए हैं। सब्ज़ी, दाल, राशन, मसाले और यहाँ तक कि मेडिकल प्रोडक्ट्स तक के दाम बढ़ गए हैं। बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने के लिए जो चोचले लागू किये गए हैं, वह एक नया ख़र्च है। ईंधन महंगा होने के कारण बढ़ी हुई क़ीमतें और बढ़ रही हैं
रोज़गार ख़त्म और ख़र्चे डबल! क्या कोई बताएगा कि साधारण जनता अपना घाटा कैसे पूरा करेगी? और इन परिस्थितियों के कारण अगर अराजकता बढ़ गई तो यह देश अपनी ‘लोककल्याणकारी डींगों’ का घाटा कैसे पूरा करेगा?
© चिराग़ जैन
No comments:
Post a Comment