Sunday, June 7, 2020

मित्रता

महाभारत में मित्रता के दो उदाहरण हैं। एक, कर्ण-दुर्योधन, दूसरा अर्जुन-कृष्ण। कर्ण दुर्योधन के प्रति इतना निष्ठावान है कि दुर्योधन के दुराचार पर भी उसका प्रतिकार नहीं कर पाता। और कृष्ण, अर्जुन के इतने हितैषी हैं कि स्वयं अर्जुन के ही निर्णय का विरोध करने में भी नहीं हिचकते। कर्ण का उद्देश्य दुर्योधन की गुड बुक में बने रहना है, जबकि कृष्ण का उद्देश्य अर्जुन का फ्यूचर सुरक्षित करना है। कर्ण ने अपनी महत्ता सिद्ध करने के लिए मित्र को सीढ़ी बनाया, जबकि कृष्ण ने मित्र के हित में शस्त्र न उठाने की प्रतिज्ञा तोड़ने से भी परहेज नहीं किया। कर्ण की मित्रता दुर्योधन को समूल नष्ट कर गई और कृष्ण की मित्रता अर्जुन को युगपुरुष बना गई। अगर अर्जुन का मित्र कोई कर्ण होता और दुर्योधन के पास कोई कृष्ण होता तो महाभारत के युद्ध का परिणाम पलट गया होता

© चिराग़ जैन

REF : Friendship Day

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