कौम को लूट के खाना नहीं सीखा हमने
इतनी शिद्दत से कमाना नहीं सीखा हमने
वक्त के साथ ही बर्ताव बदल जाता है
बस यही तौर-ए-जमाना नहीं सीखा हमने
कोई कश्ती ही पलट जाए तो मर्जी उसकी
बीच में छोड़ के जाना नहीं सीखा हमने
जिन चिरागों से हुआ एक भी लम्हा रौशन
उन चिरागों को बुझाना नहीं सीखा हमने
एक वो हैं कि गिनाए चले जाएँ अहसान
एक हम हैं कि जताना नहीं सीखा हमने
© चिराग़ जैन
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