Tuesday, April 10, 2018

बर्ताव बदल जाता है

कौम को लूट के खाना नहीं सीखा हमने
इतनी शिद्दत से कमाना नहीं सीखा हमने

वक्त के साथ ही बर्ताव बदल जाता है
बस यही तौर-ए-जमाना नहीं सीखा हमने

कोई कश्ती ही पलट जाए तो मर्जी उसकी
बीच में छोड़ के जाना नहीं सीखा हमने

जिन चिरागों से हुआ एक भी लम्हा रौशन
उन चिरागों को बुझाना नहीं सीखा हमने

एक वो हैं कि गिनाए चले जाएँ अहसान
एक हम हैं कि जताना नहीं सीखा हमने

© चिराग़ जैन

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