Friday, April 13, 2018

व्हाट्सएप्प और फेसबुक

बचपन से देखते आए हैं। घर के एक कोने में दो झाडुएँ रखी होती थीं। एक फूलबुहारी और एक सींक वाली झाडू। कमरों के भीतर का फ़र्श बुहारना होता था तो फूलबुहारी प्रयोग की जाती थी। और आंगन या चौबारा झाड़ना होता था तो सींकों वाली झाड़ू काम आती थी। यही सिद्धांत सीख लें तो सोशल मीडिया का प्रयोग करना आ जाए। घर के भीतर कुछ गन्दगी हो तो उसे ऐसे उपकरण से साफ किया जाता है जो शोर भी न करे और कचरा भी साफ हो जाए। और घर के बाहर का कचरा पूरे ज़ोर शोर से धूम धड़ाके से रगड़ रगड़ कर साफ किया जाना चाहिए। हर समस्या पर विमर्श और चर्चा आवश्यक है लेकिन हमें यह ज्ञात होना चाहिए कि व्हाट्सएप्प फूलबुहारी है और फेसबुक सींकों वाली झाड़ू। 

© चिराग़ जैन

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