Saturday, April 7, 2018

साहित्य सृजन

दीवानेपन में दुनिया के सफहे मोड़ गए हैं यार
आशिक अपने नाख़ूनों से पर्वत तोड़ गए हैं यार
ख़ाक़ कहेगा कोई अब इस महफ़िल में कुछ बात नई
तुलसी, मीर, कबीर सभी कुछ लिख कर छोड़ गए हैं यार

© चिराग़ जैन

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