Saturday, April 14, 2018

कबीलाई समाज की ओर

हम एक सुदृढ़ लोकतंत्र से वापस कबीलाई समाज व्यवस्था की ओर अग्रसर हैं। और सही कहें तो अग्रसर भी नहीं ‘उग्रसर’ हैं।
हर कबीले में लड़ाकों की और अपराधियों की प्रचुर मात्रा उपलब्ध है। लेकिन हर क़बीले के अपने नियम हैं। हिन्दू क़बीले का कोई बलात्कारी यदि मुस्लिम क़बीले की किसी लड़की को दबोच लेता है, तो यह गुनाह नहीं है लेकिन यदि हिन्दू क़बीले का कोई लड़का हिन्दू क़बीले की ही किसी लड़की का बलात्कार करता है तो क़बीले को सवर्ण-दलित, कांग्रेस-भाजपा या शैव-वैष्णव के आधार पर विभक्त होकर आपस में लड़ना होगा। जिस वर्ग में लड़की आएगी, उस वर्ग के लोग अपनी क्षमता के अनुरूप दंगा, धरना, प्रदर्शन, रैली, तोड़फोड़, मारपीट, बदले की कार्रवाई, क्रिया की प्रतिक्रिया अथवा कैंडल मार्च करेंगे। ठीक इसी तरह जिस वर्ग में बलात्कारी आएगा उस वर्ग के लोग विपरीत पक्ष के किसी बलात्कारी की पुरानी फाइल को सनद बनाकर अपने प्रत्याशी के पक्ष में तर्क देगा या फिर लड़की को चरित्रहीन सिद्ध करके अपने प्रत्याशी को कर्मफलदायक घोषित कर देगा।
स्त्री-पुरुष के विभाजन से प्रारम्भ हुआ यह क्रम अमीर-ग़रीब, अगड़ा-पिछड़ा, कांग्रेसी-भाजपाई, हिंदी-मराठी-तमिल, राष्ट्रवादी-वामपंथी-सेक्युलर, मोदी खेमा-आडवाणी खेमा और साक्षर-निरक्षर तक विकसित हो चुका है। विभाजन के इस क्रम के विकास की कोई सीमा नहीं है। यह तब तक ज़ारी रह सकता है जब तक मनुष्य नितांत एकाकी न हो जाए। हर व्यक्ति स्वयं में कबीला होगा। हर व्यक्ति का निजी संविधान होगा जिसकी धाराएँ प्रतिदिन उसके अनुसार बदलती रहेंगी।
राम, कृष्ण, पैग़म्बर, ईसा, नानक, महावीर, बुद्ध, गांधी, नेहरू, अम्बेडकर और पटेल जैसे कुछ लोग कबीलाई संस्कृति के इस विकास क्रम को भंग करके मनुष्य को मनुष्य से जोड़ने की फालतू बातें करने लगे तो हमने उनकी बातें अनसुनी करके उनके चित्र को ध्वजा बनाकर नए क़बीले बना लिए।
न्याय, कानून, मनुष्यता और करुणा को नपुंसक करके हम अनवरत विभक्त हो रहे इस स्वर्णयुग की आभा बढ़ा रहे हैं। बहुत जल्दी हम प्रति व्यक्ति एक क़बीले तक की व्यवस्था देख पाएंगे; लेकिन इस बीच हमें यह सावधानी बरतनी होगी कि तर्क, चिंतवन, निष्पक्षता, मनुष्यता और सहृदयता के शब्द लेकर कोई इस राह में अड़चन बनना चाहे तो उसे हर प्लेटफॉर्म पर गालियाँ बकनी आवश्यक है अन्यथा एकाकी खड़े रह जाने का सपना कभी पूरा न हो सकेगा।

© चिराग़ जैन

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