मई 2014 में हमने अपना स्वाभिमान पाँच वर्ष के लिए एक कॉन्ट्रेक्टर को आशाओं की लीज़ पर दिया था। कॉन्ट्रेक्टर ने कॉन्ट्रेक्ट शुरू होने से पहले ही सपनों की बड़ी किश्त प्रत्येक भारतवासी को अदा भी की। हम उन सपनों की हुंडी को मन में दबाए हुए स्वाभिमान के लालकिले का विकास होने का इंतज़ार करते रहे। कॉन्ट्रेक्ट शुरू होते ही लालकिले के परंपरागत प्रवेश-पत्र बंद करके नए पत्रक छपवाए गए। हमें बताया गया कि इन नए पत्रकों के चलन से असामाजिक तत्वों का लालक़िले में प्रवेश असम्भव हो जाएगा। बाद में जब नए पत्रकों के बंडल लेकर असामाजिक तत्व लालक़िले के अंदर ही उनकी कालाबाज़ारी करते पकड़े गए तो कॉन्ट्रेक्टर ने शिकायतकर्ता को ही सुरक्षा में सेंध लगाने के ज़ुर्म में प्रतिबंधित करवा दिया। हम अपनी ही इमारत में प्रवेश के लिए कतारें बनाए खड़े रहे।
कुछ रोज़ बाद हमारे स्वाभिमान की प्राचीर पर कॉन्ट्रेक्टर के मित्र ने अपने मोबाइल फोन का विज्ञापन चिपका दिया। एक-एक मेहराब नए फोन के इश्तिहार से ढाँप दी गई। प्रचारकों ने बताया इन्हीं इश्तिहारों के पीछे विकास का कबूतर अंडे देगा। हम संतुष्ट हो गए।
एक दिन कॉन्ट्रेक्टर किसी विदेशी के साथ रिक्शा में बैठकर चांदनी चौक आया और मुनादी कर दी कि लालक़िले से चावड़ी बाज़ार होते हुए फतेहपुरी तक बुलेट ट्रेन दौड़ेगी। किसी ने हाथ जोड़कर पूछा कि चावड़ी बाजार में संकरी गलियों के कारण हाथठेला भी ठीक से नहीं निकल पाता। शिकायत सुनकर कॉन्ट्रेक्टर का पारा चढ़ गया। वे लताड़ते हुए गुर्राए- ‘तुम्हारा कभी भला नहीं हो सकता। हम बुलेट ट्रेन चलाने की बात कर रहे हैं और तुम हाथ ठेले पर अटके हो।’ शिकायतकर्ता अपना-सा मुँह लेकर अपने ठेले पर बैठ गया और कॉन्ट्रेक्टर का रिक्शा रास्ते के हथठेलों को खदेड़ता हुआ लालक़िले में घुस गया।
आज ख़बर आई है कि कॉन्ट्रेक्ट समाप्त होने में डेढ़ साल बचा है और ठेकेदार ने स्वाभिमान की इमारत की बुनियाद को पाँच साल के लिए सबलैट कर दिया है। विकास का कबूतर सबलेटिंग के इसी कॉन्ट्रेक्ट के पीछे जा छुपा है। ज़्यादा हो-हल्ला न करना, नहीं तो विकास का कबूतर डर जाएगा और अंडे देने का प्रोग्राम टालकर पिकनिक मनाने विदेश चला जाएगा।
लेकिन भाईसाहब की निष्पक्षता पर कोई संदेह नहीं किया जा सकता। डालमिया जैसे उपेक्षित उद्योगपति को कॉन्ट्रैक्ट देकर उन्होंने सिद्ध किया है कि खरबूजा किसी एक अम्बानी की बपौती नहीं है।
© चिराग़ जैन
No comments:
Post a Comment