इस सप्ताह ख़बर पढ़ने वालों के दिल पर घाव हुआ
एक तरफ़ कठुआ घायल है, एक तरफ़ उन्नाव हुआ
एनकाउंटर से बच जाने का खुल्लमखुल्ला भाव हुआ
तोगड़िया की गद्दी छिन गई, ऐसा गुपचुप दांव हुआ
फिर से भागवत ने रामधुन गा ली, मंदिर की याद आ ली
वही पुराना ढंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
सारे बाबा संसद में तीर्थाटन करने पहुँचेंगे
छोड़ त्याग का पथ संन्यासी शासन करने पहुँचेंगे
मंत्र जाप को भूल वियोगी भाषण करने पहुँचेंगे
मंत्री बन नाइट क्लब का उद्घाटन करने पहुँचेंगे
एक कुर्सी ने भंग कर डाली, तपस्या निराली
चिमटे में है उमंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
मक्का मस्जिद के निर्णय ने काम सनसनीखेज किया
मुक्त असीमानंद हो गया, मुद्दे को निस्तेज किया
सच बोलो क्या न्यायतंत्र को प्रेशर से लबरेज किया
निर्णय देकर जज साहब ने इस्तीफ़ा क्यों भेज दिया
ऐसी कौन सी विवशता निभा ली, जो नौकरी गँवा ली
कैसा है ये प्रसंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
हार दिखा देती है सत्ताधारी को दिन में तारे
ढीले हो जाते हैं केवल दो दिन में नखरे सारे
पहले हारा जाता है फिर बहते हैं आँसू खारे
लेकिन अपने तोगड़िया जी, पहले रोए फिर हारे
भाईसाहब से दुश्मनी बना ली, सज़ा तुरंत पा ली
फीका पड़ा है रंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
किसे पता था लालू जी पर ऐसी आफ़त आएगी
दोस्त दग़ा देगा फिर जेलें बाँहें खोल बुलाएंगी
जननायक कहलाने की सारी खुजली मिट जाएगी
बीस दिनों में लालू जी की लालटेन बुझ जाएगी
अब तो ईसी ने त्यौरियाँ चढ़ा लीं, पूरी बही मंगा ली
लालू जी हुए दंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
सल्लू छूटे लालू घिरे बवाल बनाना ठीक नहीं
जाँच की धमकी देकर अपनी दाल गलाना ठीक नहीं
आयोगों में अभियोगों की चाल बनाना ठीक नहीं
न्यायपालिका को शासन की ढाल बनाना ठीक नहीं
जो करेगा सरकार की जुगाली, वही बचेगा ख़ाली
बाक़ी सभी से जंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
पर्स उदास हुआ बेचारा, एटीएम खल्लास हुआ
वित्त सुधारों के जुमलों का ये कैसा उपहास हुआ
ना बैंकों में बचा रहा ना मुद्रा पर विश्वास हुआ
बैन पुराने, नए नदारद, कैसा सत्यानाश हुआ
हर एटीएम की हेकड़ी निकाली, सभी हैं ख़ाली-ख़ाली
नोटों के उड़े रंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
रथयात्रा से शुरू हुआ था ये सारा गड़बड़झाला
रामलला के वरदानों से पा ली सत्ता की हाला
मंदिर के मुद्दे का तुमने रायता फैला डाला
जनका को बरसों से तुमने क्या कुछ नहीं बना डाला
राममंदिर की खिचड़ी पका ली, सरकारें बनवा लीं
घर में बही है गंग भाइयो
पूरी राजनीति हो गई मवाली, सभी के सब ठाली
ज़माना हुआ तंग भाइयो
© चिराग़ जैन
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